CG: नंगा कर बच्चे को पीटा, अपमान से पिता ने की आत्महत्या
महासमुंद :- छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाली उस घटना की खबर, जिसे हमारे चैनल ने 13 दिसंबर को प्रमुखता से दिखाया था… उस खबर का असर अब साफ दिख रहा है! मात्र 12 घंटे के अंदर छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया और आज आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा खुद अपने सदस्यों के साथ पीड़ित परिवार के घर पहुंचीं। पीड़ितों से विस्तार से बात की, न्याय दिलाने का पूरा आश्वासन दिया और सबसे बड़ी बात… दो महीने तक कार्रवाई न करने वाली पुलिस को जमकर फटकार लगाई!
महासमुंद जिले के तेंदूकोना थाना क्षेत्र के बुंदेली चौकी अंतर्गत ग्राम कोल्दा (सेवाती) का यह मामला 12 अक्टूबर 2025 का है। 12 साल का मासूम ओमप्रकाश साहू, गरीब परिवार का बच्चा… गांव के दुकानदार गिरवर चक्रधारी, भुरवा चक्रधारी और मनोज चक्रधारी कभी-कभी उसे छोटे-मोटे काम के बदले बिस्किट-चॉकलेट दे देते थे।12 अक्टूबर सुबह 9 बजे फिर बुलाया गया… काम करवाया… और फिर शुरू हुआ जुल्म का सिलसिला! 500 रुपये चोरी का झूठा आरोप लगाकर बच्चे को घर में बंद किया, सारे कपड़े उतरवा कर नंगा किया, बेरहमी से पीटा और पूरे 3 घंटे तक बंधक बनाकर रखा!
पिता स्वर्गीय देवकुमार साहू जब बच्चे को छुड़ाने पहुंचे तो दुकानदारों की बातों में आकर खुद बच्चे को पीटते हुए घर ले आए। शाम को पता चला कि रुपये तो दुकान में ही थे… बच्चा बेकसूर!देवकुमार जब सवाल करने गए तो गाली-गलौज, मारपीट और जान से मारने की खुली धमकी… “उठवा लेंगे… जान से खत्म कर देंगे!” जिसका गांव के कोटवारी सहित पूरा गांव गवाह है। अपमान, डर और लाचारी से तंग आकर अगले दिन 13 अक्टूबर को देवकुमार साहू ने जहर खा लिया… अस्पताल जाते रास्ते में मौत हो गई!
विधवा पूर्णिमा साहू का कहना है – “मेरे बच्चे को नंगा करके पीटा गया, पति को जान से मारने की धमकी दी गई… अपमान इतना कि वो जीते जी मर गए। यह आत्महत्या नहीं, हत्या है!”शिकायत के बावजूद दो महीने तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की… आखिर 108 BNS के तहत FIR दर्ज हुई। लेकिन न्याय की गुहार लगाते रहे पीड़ित परिवार…और अब… हमारे चैनल की खबर का असर! 13 दिसंबर को खबर दिखाते ही 12 घंटे के अंदर संज्ञान… आज बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा पीड़ित परिवार से मिलीं। परिवार को न्याय का आश्वासन दिया…
पुलिस की ढिलाई पर कड़ी फटकार लगाई और साफ कहा – “प्रदेश में कोई यह न सोचे कि गरीब है, जिनका कोई नहीं है, उनके साथ कुछ भी किया जा सकता है। उनके साथ पूरा बाल संरक्षण आयोग खड़ा है। न्याय में देरी करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा!क्या नाबालिग बच्चे से काम लेना, निर्वस्त्र कर मारपीट करना अपराध नहीं? पुलिस की दो महीने की खामोशी पर अब सवाल उठ रहे हैं… लेकिन खबर के असर से अब न्याय की राह खुली है!यह खबर का असर है… मीडिया की ताकत है कि आवाज उठी और सिस्टम हिला! पीड़ित परिवार को जल्द न्याय मिले… यही उम्मीद है।