दुर्ग। सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर 25 लोगों से 45 लाख रुपए की ठगी करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। आरोपी अरुण मेश्राम (54 वर्ष) कांकेर में किराये के मकान में छिपकर रह रहा था, जहां पुलिस ने घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार किया। इस मामले में दो आरोपी पहले ही जेल भेजे जा चुके हैं।
2 जुलाई 2022 को हुई थी ठगी
ग्राम चिरचार निवासी संतराम देशमुख ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि भेषराम देशमुख और रविकांत देशमुख ने अपने साथी अरुण मेश्राम के साथ मिलकर खुद को मंत्रालय में बड़ा अधिकारी बताकर नौकरी लगवाने के नाम पर 5 लाख रुपए लिए थे। वादा पूरा नहीं होने पर जब अन्य लोगों से भी ठगी की जानकारी मिली, तो पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
कांकेर में छिपा था मास्टरमाइंड
अंजोरा चौकी प्रभारी खेलन सिंह साहू को सूचना मिली कि अरुण मेश्राम कांकेर में किराये के मकान में रह रहा है। पुलिस टीम ने 14 अक्टूबर को दबिश देकर आरोपी को पकड़ लिया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि उसने 20 से 25 लोगों से सरकारी नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपए ऐंठे।
पहले ही गिरफ्तार हो चुके थे दो आरोपी
इस मामले में अंजोरा निवासी भेषराम देशमुख और उसका बेटा रविकांत देशमुख 6 सितंबर 2025 को गिरफ्तार होकर जेल भेजे जा चुके हैं। दोनों ने पुलिस पूछताछ में बताया था कि अरुण मेश्राम मंत्रालय में अफसरों से जान-पहचान का हवाला देकर लोगों को भरोसे में लेता था और नौकरी का लालच देकर पैसे वसूलता था।
ठगी की रकम से खरीदा प्लॉट
अरुण मेश्राम ने पुलिस को बताया कि ठगी की रकम तीनों ने आपस में बांट ली थी। उसने अपने हिस्से से करीब 15 लाख रुपए में कांकेर में एक प्लॉट खरीदा था और पिछले तीन साल से उसी रकम से खर्च चला रहा था। पुलिस ने उसके पास से प्लॉट खरीदी का एग्रीमेंट और 4,000 रुपए नकद बरामद किए हैं।
पुलिस कर रही आगे की जांच
पुलिस अब ठगी के शिकार अन्य पीड़ितों की पहचान कर रही है और यह भी जांच में जुटी है कि ठगी की रकम से खरीदी गई अन्य संपत्तियां कहां-कहां हैं। आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।