CG: इंश्योरेंस के लिए बाप ने करवा दी बेटे की हत्या, ऐसे हुआ इस घिनौने राज का पर्दाफाश

CG: इंश्योरेंस के लिए बाप ने करवा दी बेटे की हत्या, ऐसे हुआ इस घिनौने राज का पर्दाफाश

नई दिल्ली :- दिल्ली की ठिठुरती रात में यमुना किनारे मिला एक शव… शुरुआती नजर में साधारण हादसा, लेकिन पोस्टमॉर्टम की एक लाइन ने पूरे केस को उलट दिया, मृत्यु डूबने से नहीं, गला दबाने से हुई है।यही वो वाक्य था जिसने दिल्ली क्राइम ब्रांच को उस खतरनाक साजिश की ओर धकेल दिया, जो एक पिता ने अपने इकलौते बेटे के खिलाफ रची थी।
और इस खामोश हत्याकांड का मास्टरमाइंड था खुद उसका पिता।

दिल्ली के पॉश साकेत का रहने वाला 52 वर्षीय रियल एस्टेट कारोबारी सुरेश कुमार (बदला हुआ नाम) बाहर से समृद्ध, अंदर से कर्जों में डूबा हुआ था।कोविड के बाद बिजनेस गिरा, कर्ज बढ़े… और तभी दिमाग में जन्म लिया एक खतरनाक “प्लान” ने।उसका 25 वर्षीय बेटा राहुल—एक आम नौकरी करने वाला युवक—लेकिन पिता के लिए “2 करोड़ का इंश्योरेंस पॉलिसी नंबर” बन चुका था.पॉलिसी में एक्सीडेंटल डेथ का क्लॉज… यानी यदि बेटा दुर्घटना में मरे, तो क्लेम दोगुना—4 करोड़।

यहीं से कहानी मोड़ लेती है

पिता के पुराने दोस्त और हाई कोर्ट के क्रिमिनल वकील अजय शर्मा ने कानूनी दिमाग का काला इस्तेमाल किया। ऐसे एक्सीडेंट दिखाओ, जिसे कोई ‘हत्या’ साबित न कर सकेऔर दोनों ने शुरू किया ‘प्रोजेक्ट राहुल’।

साजिश की गहराई

अगस्त 2025 से सुरेश और अजय की गुप्त मुलाकातें बढ़ने लगीं। कागज़ों और कानून की किताबों के बीच तैयार हुई राहुल की फर्जी वसीयत,जिसमें उसकी सारी संपत्ति पिता के नाम होनी थी।वकील ने अपने एक पुराने ‘क्रिमिनल क्लाइंट’ गोपल(बदला हुआ नाम) को हत्या के लिए तय किया। एक ऐसा चेहरा, जो पुलिस रिकॉर्ड में था, लेकिन पहचानना मुश्किल।साजिश ठंडी थी, सोची-समझी थी… और डरावनी थी।

हत्या की रात

28 नवंबर 2025 रात 10:45 बजे। सुरेश ने बेटे को कॉल किया। चलो डिनर चलते हैं, बहुत दिन से बात नहीं हुई। लेकिन यह डिनर नहीं, मौत का निमंत्रण था। आउटर रिंग रोड के अंधेरे हिस्से में, फर्जी नंबर प्लेट वाली एक कार, अचानक राहुल की कार से टकराती है।कार के ब्रेक पहले ही साथ छोड़ चुके थे, क्योंकि उन्हें ‘फेल’ करवाया गया था। राहुल घायल, घबराया… और तभी गोपल उसे कार से बाहर घसीट ले जाता है।सड़क छोड़कर, वह उसे अंधेरे में, यमुना किनारे ले जाता है.जहां कोई नहीं…सिवाय मौत के।गोपल ने राहुल का गला दबाया, और शव को नदी में फेंक दिया। लेकिन किस्मत ने अपराधियों के खिलाफ काम किया। पानी का बहाव कम था… शव किनारे पर ही अटक गया।

जहां ‘एक्सीडेंट’ के पीछे ‘हत्या’ दिखाई देने लगी

पोस्टमॉर्टम में गले पर उंगलियों के निशान मिले। कार टक्कर का सीसीटीवी मिला…लेकिन नंबर प्लेट फर्जी। इंश्योरेंस क्लेम “बहुत जल्दी” फाइल किया गया। पुलिस को सब बेमेल लगा।क्राइम ब्रांच ने सुरेश के चैट और कॉल रिकॉर्ड खंगाले—
और वहीं मिला सबसे डरावना सबूत:“प्रोजेक्ट राहुल शुरू करना है?” “हाँ, इस हफ्ते सब खत्म।” अजय और सुरेश की बातचीत यही चैट्स केस की चाबी बनीं।

दोस्ती, लालच और गुनाह का काला सच

6 दिसंबर को सुरेश और अजय दोनों गिरफ्तार। पूछताछ में सुरेश टूट गया। मैं कर्ज में था… सोचा क्लेम से सब ठीक हो जाएगा… नहीं सोचा था कि इतना बड़ा अपराध कर रहा हूँ।अजय ने भी माना—वह 20 साल का दोस्त था… लेकिन हम दोनों ने हद पार कर दी।” दोनों पर धारा 302, 120B और 420 के तहत मामला दर्ज। गोपल अभी भी फरार है और पुलिस उसकी तलाश में यूपी के कई जिलों में दबिश दे रही है। मां का बयान: जो दिल को चीर देता है.राहुल की मां ने रोते हुए कहा, मेरे पति ने मेरा सब कुछ छीन लिया… मेरा बच्चा, मेरी दुनिया…

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