CG : बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में बड़ी कार्रवाई : छठवां अभियोग पत्र पेश कई बड़े अधिकारियों और नेताओं की संलिप्तता उजागर
रायपुर : राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए आज 20 अगस्त 2025 को रायपुर की विशेष अदालत में छठवां अभियोग पत्र पेश किया है। इस बार की जांच का केंद्र बिंदु विदेशी शराब पर कमीशनखोरी और उससे जुड़े सिंडीकेट की भूमिका रही।
जांच में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2020-21 के दौरान आबकारी विभाग में एक संगठित सिंडीकेट सक्रिय था। इसमें प्रशासनिक अधिकारी अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, निरुंजन दास सहित अनवर बेबर, विकास अग्रवाल, अरविंद सिंह जैसे प्रभावशाली लोग शामिल थे। इनके नियंत्रण में विभाग में कमीशनखोरी और अवैध लेनदेन का जाल बिछाया गया था।
कैसे बदली गई नीति?
विदेशी शराब सप्लायर कंपनियों से सीधे कमीशन वसूलने में दिक्कत आने पर सिंडीकेट ने नई योजना बनाई। षड्यंत्रपूर्वक वर्ष 2020-21 में कैबिनेट से नई आबकारी नीति पास करवाई गई। इस नीति के तहत छत्तीसगढ़ में पहली बार एफएल-10ए/बी लाइसेंस प्रणाली लागू की गई। पहले विदेशी शराब की खरीद-बिक्री का पूरा अधिकार राज्य का बेवरेज कॉर्पोरेशन रखता था, जिससे होने वाला लाभ सीधे सरकारी खजाने में जाता था।
लेकिन नई नीति के बाद तीन निजी कंपनियों को एफएल-10ए लाइसेंस दे दिया गया। इन कंपनियों ने विदेशी शराब सप्लायर्स से खरीद कर 10% मार्जिन जोड़कर उसे मार्केटिंग कॉर्पोरेशन को बेचना शुरू किया। इस मार्जिन का बड़ा हिस्सा सिंडीकेट और उनके राजनीतिक संरक्षकों के पास जाता था।
तीन कंपनियों का खेल
- ओम साईं बेवरेज प्रा. लि. – अतुल सिंह और मुकेश मंधड़ा की इस कंपनी में विजय कुमार भाटिया छिपे हुए लाभार्थी थे। जांच में सामने आया कि भाटिया ने डमी डायरेक्टरों के जरिए 14 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ उठाया।
- नेक्सजेन पावर इंजिटेक प्रा. लि. – वास्तविक स्वामी संजय मिश्रा (चार्टर्ड अकाउंटेंट) थे। कंपनी ने सिंडीकेट के लिए अवैध कमाई को बैंकिंग चैनल के जरिये वैध बनाने का काम किया। मिश्रा ने अपने भाई मनीष मिश्रा और अरविंद सिंह के भतीजे अभिषेक सिंह को डायरेक्टर बनाया। इस कंपनी ने करीब 11 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया।
- दिशिता वेंचर्स प्रा. लि. – विदेशी शराब के पुराने कारोबारी आशीष केडिया की कंपनी को भी लाइसेंस दिया गया।
राजकोष को 248 करोड़ का नुकसान
EOW की रिपोर्ट के मुताबिक, इन तीन कंपनियों को लाइसेंस देने से सरकार को कम से कम 248 करोड़ रुपए का सीधा नुकसान हुआ। वहीं सिंडीकेट और राजनीतिक प्रभावशाली लोगों ने इस व्यवस्था से करोड़ों रुपए की अवैध कमाई की।
गिरफ्तारियां और आगे की कार्रवाई
इस अभियोग पत्र में विजय कुमार भाटिया, संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह को आरोपी बनाया गया है। सभी फिलहाल जेल में बंद हैं। अन्य लाइसेंसी कंपनियों से जुड़े लोगों के खिलाफ अलग से चार्जशीट दाखिल की जाएगी।

