CG : नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने राज्यपाल को पत्र लिखकर उठाई संवैधानिक आपत्ति, एक मंत्री को हटाने की मांग जाने क्या है पूरा मामला
रायपुर : छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्यपाल रमण डेका को पत्र लिखते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल विस्तार को असंवैधानिक करार दिया है। उनका आरोप है कि 20 अगस्त को हुए विस्तार के बाद राज्य मंत्रिपरिषद की संख्या संवैधानिक सीमा से अधिक हो गई है। उन्होंने एक मंत्री को हटाने की मांग की है।
चरणदास महंत ने पत्र में क्या लिखा?
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने अपने पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में कुल 90 सदस्य हैं। संविधान के अनुच्छेद 164(1क) के अनुसार, किसी भी राज्य की मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। इसका सीधा अर्थ है कि छत्तीसगढ़ में मंत्रियों की संख्या 13.50 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
लेकिन हालिया विस्तार के बाद मंत्रियों की संख्या 14 हो गई है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है। नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि इस स्थिति को दुरुस्त करने के लिए मंत्रिमंडल से किसी एक मंत्री को पद से हटाया जाए और अनुच्छेद 164(1क) का पालन सुनिश्चित किया जाए।
ऐतिहासिक संदर्भ भी दिया
महंत ने अपने पत्र में छत्तीसगढ़ के पिछले मंत्रिमंडलों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि राज्य गठन के समय अजीत जोगी के नेतृत्व वाली सरकार में 26 मंत्री थे। इसके बाद रमन सिंह की सरकार में मंत्रियों की संख्या 17 रही। बाद में संशोधन कर मंत्रिमंडल की संख्या घटाकर 13 कर दी गई। महंत ने याद दिलाया कि 8 जनवरी 2019 को विधानसभा में एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें मंत्रियों की संख्या 13 से 14 करने का प्रावधान रखा गया था। उस समय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसका विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट किया था।
कांग्रेस का आरोप
महंत के पत्र से पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने भी इस मंत्रिमंडल विस्तार को नियम विरुद्ध बताया था। बघेल का कहना था कि भाजपा ने जब सत्ता में रहते हुए संशोधन का विरोध किया था, तो अब सत्ता में आकर उसी का लाभ उठा रही है। उन्होंने इसे संवैधानिक मर्यादाओं की अनदेखी करार दिया।
क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 164(1क) स्पष्ट करता है कि किसी भी राज्य में मंत्रिपरिषद का आकार उस राज्य की विधानसभा की कुल सदस्य संख्या का 15% से अधिक नहीं हो सकता। हालांकि, मंत्रियों की न्यूनतम संख्या 12 से कम भी नहीं होगी। छत्तीसगढ़ में 90 विधायकों के हिसाब से मंत्रिपरिषद की संख्या 13 तक सीमित रहनी चाहिए। वर्तमान में यह संख्या 14 होने के कारण संवैधानिक विवाद खड़ा हो गया है।