लखनपुर / दिनेश बारी, 28/09/2024
एसईसीएल अमेरा क्षेत्र में सिंगीटाना से अमेरा मार्ग तक 5 किमी खराब और जर्जर सड़क से परेशान ग्रामीणों ने शनिवार को चक्का जाम करते हुए धरना प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा, लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे। जानकारी होते ही स्थानीय विधायक राजेश अग्रवाल मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सड़क नहीं बनने की स्थिति में वे भी ग्रामीणों के साथ धरना प्रदर्शन पर बैठेंगे।
मिली जानकारी के मुताबिक, नेशनल हाईवे 130 स्थित सिंगीटाना से अमेरा खदान, पीपर खार से अमेरा खदान, और रजपुरीकला से अमेरा खदान तक सड़क खस्ताहाल और जर्जर हालत में है। जर्जर और खस्ता हाल सड़क को लेकर पूर्व में ग्रामीणों ने सरगुजा कलेक्टर सहित सीसीएल प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन अब तक सड़क नहीं बन सकी है। सड़क नहीं बनने को लेकर पूर्व में दो बार ग्रामीणों ने चक्का जाम किया था, जिस पर एसईसीएल प्रबंधन और प्रशासन के आश्वासन के बाद चक्का जाम धरना प्रदर्शन समाप्त किया गया था।
परंतु आज तक सड़क का निर्माण नहीं होने से आक्रोशित ग्रामीणों ने एसईसीएल अमेरा सड़क पर चक्का जाम कर धरना प्रदर्शन किया। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा, जहां स्कूल के शिक्षकों ने जर्जर सड़क को मरम्मत कराने को लेकर ज्ञापन सौंपा। सूचना उपरांत अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल भी मौके पर पहुंचे। विधायक राजेश अग्रवाल ने चक्का जाम और धरना प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा कि यदि सड़क का निर्माण जल्द नहीं होता है, तो वे खुद ग्रामीणों के साथ धरना प्रदर्शन पर बैठेंगे और इन मार्गों से कोयला परिवहन भी बंद कराया जाएगा।
विधायक ने कहा कि सड़क बनवाने के लिए सरगुजा कलेक्टर और एसईसीएल प्रबंधन को ज्ञापन सौंपा जाएगा। वहीं, एसईसीएल क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सड़क का निर्माण नहीं होगा, तब तक चक्का जाम अनिश्चितकालीन जारी रहेगा। गौरतलब है कि नेशनल हाईवे 130 से लगे गांव सिंगीटाना से लेकर अमेरा खदान तक 5 किलोमीटर की सड़क जर्जर और खस्ताहाल है। जर्जर सड़कों से आवागमन करने में स्कूली बच्चों, शिक्षकों और ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब देखना होगा कि एसईसीएल प्रबंधन कब तक सड़क का निर्माण कराता है। शनिवार की शाम 4 बजे तक ग्रामीणों का चक्का जाम और विरोध प्रदर्शन अनिश्चितकालीन जारी था। प्रशासनिक अमले के समझाने के बाद भी ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे।