World Retina Day 2025 : रेटिना डिजीज के इन 5 शुरुआती संकेतों को पहचानकर बचाएं आंखों की रोशनी…

World Retina Day 2025 : रेटिना डिजीज के इन 5 शुरुआती संकेतों को पहचानकर बचाएं आंखों की रोशनी…

नई दिल्ली : हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को वर्ल्ड रेटिना डे (World Retina Day) मनाया जाता है। इस वर्ष, यह दिन 28 सितंबर 2025 को पड़ रहा है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को रेटिना  के महत्व और इससे जुड़ी गंभीर बीमारियों, जैसे डायबिटिक रेटिनोपैथी और मैकुलर डिजनरेशन के प्रति जागरूक करना है, जो अंधापन (Blindness) का प्रमुख कारण बन सकती हैं।

रेटिना, आंख के पीछे मौजूद एक पतली परत है जो प्रकाश को तंत्रिका संकेतों में बदलकर मस्तिष्क तक पहुंचाती है। यदि रेटिना क्षतिग्रस्त हो जाए, तो दृष्टि हमेशा के लिए जा सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि रेटिना संबंधी बीमारियों का अगर शुरुआती चरण में पता चल जाए, तो सही उपचार से आंखों की रोशनी बचाई जा सकती है।

रेटिना रोगों के 5 शुरुआती और अहम संकेत:

रेटिना की समस्याएं अक्सर दर्द रहित होती हैं, इसलिए इनके शुरुआती संकेतों को पहचानना बहुत जरूरी है:

  1. फ्लोटर्स (Floaters) की अचानक वृद्धि: आंखों के सामने छोटे-छोटे काले धब्बे, बिंदु या जाले जैसा तैरते हुए दिखना। यदि इनकी संख्या अचानक बहुत बढ़ जाए, तो यह रेटिनल टियर (रेटिना में छेद) या डिटैचमेंट (अलग होना) का संकेत हो सकता है।
  2. प्रकाश की चमक (Flashes of Light): आंखों के कोने में अचानक बिजली या फ्लैशलाइट जैसी चमक दिखाई देना। यह आमतौर पर तब होता है जब रेटिना खींचती या उत्तेजित होती है।
  3. धुंधली या विकृत दृष्टि (Blurry or Distorted Vision): चीजों का धुंधला दिखना, विशेष रूप से केंद्रीय दृष्टि (Central Vision) का प्रभावित होना। मैकुलर डिजनरेशन में सीधी रेखाएं भी टेढ़ी या लहरदार दिख सकती हैं।
  4. दृष्टि क्षेत्र में परदा या छाया: दृष्टि के किसी हिस्से पर अचानक एक काली छाया या परदे जैसा आभास होना। यह अक्सर रेटिनल डिटैचमेंट का एक खतरनाक और गंभीर संकेत होता है, जिसमें रेटिना अपनी जगह से हट जाती है।
  5. रात में देखने में कठिनाई: कम रोशनी या रात में चीजों को देखने में बहुत अधिक परेशानी होना, जिसे रतौंधी भी कहते हैं। यह रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा (Retinitis Pigmentosa) जैसी वंशानुगत रेटिना रोगों का लक्षण हो सकता है।

आंखों की रोशनी बचाने के लिए क्या करें?

विशेषज्ञों का कहना है कि रेटिना के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जीवनशैली में बदलाव और नियमित जांच सबसे महत्वपूर्ण है:

  • नियमित नेत्र जांच: 40 वर्ष की आयु के बाद हर साल या डॉक्टर की सलाह पर रेटिना की विस्तृत जांच (Pupil Dilation के साथ) अवश्य कराएं।
  • डायबिटीज और बीपी नियंत्रण: मधुमेह (Diabetes) और उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) रेटिना रोगों के सबसे बड़े कारक हैं। ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।
  • स्वस्थ आहार: एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी, ई और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ (हरी सब्जियां, मछली) का सेवन करें।
  • धूम्रपान से बचें: धूम्रपान रेटिना रोग के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है, इसे तुरंत छोड़ दें।
  • सुरक्षात्मक चश्मा: हानिकारक यूवी किरणों से बचने के लिए धूप में यूवी-प्रोटेक्टिव चश्मा पहनें और खेलते समय सुरक्षा चश्मे का उपयोग करें।

चेतावनी: यदि आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण अचानक महसूस हों, तो इसे सामान्य मानकर नजरअंदाज न करें। तत्काल किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ (Ophthalmologist) से संपर्क करें। रेटिना के मामले में जरा सी देरी भी स्थायी अंधापन का कारण बन सकती है।

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