अब इनकम टैक्स फाइल करना होगा और भी आसान, ई-पोर्टल पर आया है बड़ा अपडेट

अब इनकम टैक्स फाइल करना होगा और भी आसान, ई-पोर्टल पर आया है बड़ा अपडेट

नई दिल्ली :- इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स के लिए एक नया फीचर शुरू किया है. इसके तहत अब कुछ खास इनकम टैक्स ऑर्डर्स में गलती सुधारने (रेक्टिफिकेशन) के लिए आवेदन सीधे ऑनलाइन किया जा सकेगा. पहले यह प्रक्रिया लंबी और झंझट भरी थी, जिसमें मैन्युअली आवेदन देना पड़ता था या असेसिंग ऑफिसर के जरिए फाइल आगे बढ़ानी पड़ती थी.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बताया है कि अब ट्रांसफर प्राइसिंग , डिस्प्यूट रेजोल्यूशन पैनल और रिवीजन ऑर्डर्स के खिलाफ रेक्टिफिकेशन की अर्जी सीधे संबंधित अथॉरिटी के पास ई-फाइलिंग पोर्टल के जरिए दी जा सकती है. इसके लिए ई-फाइलिंग पोर्टल में Services टैब पर क्लिक करें फिर Rectification इसके बाद Request to AO seeking rectification विकल्प पर क्लिक करें.

इसका मतलब क्या है

चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉ. सुरेश सुराना के मुताबिक, इस बदलाव के बाद टैक्सपेयर्स अब आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाकर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से गलती सुधारने की अर्जी सीधे सही टैक्स अथॉरिटी को भेज सकते हैं. यह खासतौर पर उन मामलों में मददगार है, जहां असेसमेंट ऑर्डर में साफ-साफ कोई गलती नजर आती है. अगर टैक्सपेयर को नीचे दिए गए ऑर्डर्स में कोई साफ गलती दिखती है.

ट्रांसफर प्राइसिंग (TP) ऑर्डर

DRP के निर्देश

रिवीजन ऑर्डर (जैसे धारा 263 या 264 के तहत दिए गए आदेश)

तो वह सीधे उसी अथॉरिटी को रेक्टिफिकेशन रिक्वेस्ट भेज सकता है, जिसने मूल आदेश को लागू करने की शक्ति रखी है.

रिवीजन ऑर्डर क्या होते हैं

रिवीजन ऑर्डर वे आदेश होते हैं, जिन्हें सीनियर इनकम टैक्स अधिकारी किसी असेसिंग ऑफिसर के फैसले की समीक्षा या संशोधन के लिए जारी करते हैं. धारा 263 के तहत, अगर कोई आदेश गलत हो या विभाग के हित में न हो, तो उसे बदला या रद्द किया जा सकता है. वहीं धारा 264 के तहत टैक्सपेयर को राहत देने के लिए आदेश में संशोधन किया जा सकता है.

पहले क्या दिक्कत थी

पहले इन मामलों में रेक्टिफिकेशन के लिए कोई एक समान ऑनलाइन सिस्टम नहीं था. टैक्सपेयर्स को आवेदन हाथ से देना पड़ता था या AO के जरिए भेजना पड़ता था, जिससे देरी और बार-बार फॉलोअप की परेशानी होती थी.

नए फीचर से क्या फायदा होगा

इस नए फीचर से पूरी प्रक्रिया डिजिटल, आसान और पारदर्शी हो गई है. अब आवेदन की ट्रैकिंग आसान होगी, कागजी काम कम होगा और समय की बचत होगी. खासकर ट्रांसफर प्राइसिंग और रिवीजन जैसे जटिल मामलों में टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिलेगी.

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