16 दिसंबर से शुरू हो रहा है खरमास, जानें इस दौरान कौन-से शुभ कार्य करने से मिलेगा पुण्य
हिंदू धर्म में खरमास को एक पवित्र लेकिन संयम और सावधानी का समय माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास का आरंभ होता है। वर्ष 2025 में खरमास 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है, जिसके बाद कुछ मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। खरमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, नई दुकान या व्यापार की शुरुआत जैसे शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि यह समय पूरी तरह अशुभ होता है।
खरमास में क्या नहीं करना चाहिए
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास के दौरान इन कार्यों से परहेज करना चाहिए:
विवाह और सगाई
गृह प्रवेश और वास्तु पूजन
मुंडन संस्कारनया व्यापार या निवेश
मांगलिक और शुभ उत्सव
ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में किए गए मांगलिक कार्यों का शुभ फल प्राप्त नहीं होता।
खरमास में कौन-से शुभ कार्य कर सकते हैं?
खरमास को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मशुद्धि का समय माना जाता है। इस दौरान कुछ विशेष कार्य करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- पूजा-पाठ और जप-तप
खरमास में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और सूर्य देव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ
गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप
- दान-पुण्य का विशेष महत्व
इस अवधि में दान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है।
अन्न दान
वस्त्र दान
तिल, गुड़ और घी का दान
- व्रत और उपवास
खरमास में एकादशी, सोमवार या शनिवार का व्रत रखने से आत्मबल बढ़ता है और मन को शांति मिलती है।
- गीता पाठ और सत्संग
इस समय गीता पाठ, रामायण या भागवत कथा सुनना और सत्संग में शामिल होना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
- आत्मचिंतन और साधना
खरमास को आध्यात्मिक साधना का श्रेष्ठ समय माना जाता है। ध्यान, योग और आत्मचिंतन से नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
खरमास का धार्मिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार, खरमास के दौरान सूर्य देव की गति मंद होती है, इसलिए यह समय भौतिक कार्यों की बजाय आध्यात्मिक उन्नति के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण इसे संयम, सेवा और साधना का महीना कहा जाता है।