उज्जैन। मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर उज्जैन में स्थित विक्रम विश्वविद्यालय को अब ‘सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय’ के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में यह महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस बदलाव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विश्वविद्यालय का नाम महान सम्राट विक्रमादित्य की विरासत को सही तरीके से उजागर करे।
इस अवसर पर राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने उज्जैन निवासी मुख्यमंत्री मोहन यादव को डी. लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया। उन्होंने उज्जैन को भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में से एक बताते हुए इसके शैक्षणिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया। राज्यपाल ने भगवान कृष्ण के आचार्य संदीपनी के गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने के ऐतिहासिक प्रसंग को भी याद किया।
मुख्यमंत्री यादव ने विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि “शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की सेवा करना है।” उन्होंने शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे अपने ज्ञान का उपयोग उज्जैन, मध्य प्रदेश और पूरे देश की प्रतिष्ठा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाने के लिए करें।
दीक्षांत समारोह के दौरान 70 विद्यार्थियों को उपाधियां, 99 को पदक और 2 शोधकर्ताओं को डी. लिट की उपाधियां प्रदान की गईं। इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब विक्रम विश्वविद्यालय को ‘सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय’ के नाम से जाना जाएगा, जिससे इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को और अधिक पहचान मिलेगी।