विधानसभा बजट सत्र: दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत पदों के चिन्हांकन का सवाल …मुख्य सचिव छह महीने के भीतर इसका रास्ता निकालें

रायपुर छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र का आज सोलहवां दिन है। आज प्रश्नकाल में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत पदों के चिन्हांकन का सवाल उठा। इस मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करते हुए मुख्य सचिव सचिव को निर्देश दिया कि छह महीने के भीतर पदों के चिन्हांकन की प्रक्रिया पूर्ण करें। भाजपा विधायक प्रबोध मिंज ने महिला बाल विकास मंत्री से पूछा कि दिव्यांगजनों के पदों का चिन्हांकन संवर्गवार कब तक कर लिया जायेगा।

जवाब में महिला बाल विकास मंत्री ने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 1995 के तहत दिव्यांगजनों के पदों का चिन्हांकन 2014 में किया गया था। लेकिन दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत जो पदों का चिन्हांकन किया जाना था, वो प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि 21 प्रकार के दिव्यांगजन के लिए पदों का चिन्हांकन किया जायेगा। मंत्री ने बताया कि कुछ विभागों से जानकारी आनी बाकी है, जिसके बाद प्रक्रिया पूर्ण कर ली जायेगी। मंत्री ने कहा कि अभी 24 विभाग का जवाब आया है, जबकि 26 विभागों से जवाब आना है।

मंत्री के जवाब पर प्रबोध मिंज ने आपत्ति जताते हुए कहा कि 2016 के बाद 09 साल होने के बाद भी अभी तक पदों का चिन्हांकन नहीं किया गया है। ये दिव्यांगजनों के अधिकार का हनन है। विधायक की आपत्ति पर मंत्री ने कहा कि किसी भी प्रक्रिया को पूरा करने में समय लगता है, आधे से अधिक विभागों से जानकारी आ चुकी है,जल्द से सभी विभागों से जानकारी प्राप्त होने पर कार्य पूर्ण किया जाएगा।

प्रबोध मिंज के सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि 9 साल से प्रक्रिया ही चल रही है, पद चिन्हांकित भी नहीं हो सका है। विभाग को दिव्यांगजनों के संबंध में संवेदनशील होना चाहिए। विभाग समय-सीमा निर्धारित करें जिसमें प्रक्रिया पूरी हो सके।

विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि दिव्यांगजनों के बैकलॉग के पदों पर भर्ती के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाने का परिपत्र पिछले साल 31 मई 2024 को जारी किया गया था। दिव्यांग जनों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने

जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने निर्देश देते हुए कहा, ये मुद्दा काफी व्यापक है, सभी विभागों से इस संदर्भ में जवाब आना चाहिये। मुख्य सचिव को इसकी चिंता करनी चाहिए। 6 माह के भीतर इसका रास्ता निकाला जाना चाहिये।

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